मुशायरे की मल्लिका, तो कोठे की शान, रात की चाँदनी तो उजाले में गुमनाम। मुशायरे की मल्लिका, तो कोठे की शान, रात की चाँदनी तो उजाले में गुमनाम।
कर एक अहसान उस पे, तुझमें तेरे पिता का जो है। ना उम्मीद के साथ कह, उन्हें याद किया ! कर एक अहसान उस पे, तुझमें तेरे पिता का जो है। ना उम्मीद के साथ कह, उन्हें या...
तुम्हें चाँद ने पुकारा है... तुम्हें चाँद ने पुकारा है...
कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर में ही। कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर...
मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...। मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...।
उम्मीदों के खिलाफ ! उम्मीदों के खिलाफ !